चोर जार नशे बाज जुआरी खड़े पाप हत्थे पै / मेहर सिंह
चार जणां की लिखूं कहाणी कागज के गत्ते पै।
चोर जार नशे बाज जुआरी खड़े पाप हत्थे पै।टेक
पहले वर्णन करूं चोर का ठा रहा हाथ कबाहड़ा
दुष्ट कमा कै खाते कोन्या फिरैं गेरते दाड़ा
घिटी कै म्हां गुठा दे दें ना देखैं ठाडा माड़ा
रस्ते क में कोए मिलै मुसाफिर तै लें हांगे तै झाड़ा
चोर दुष्ट ना बैठे देखे कदे माया के खते पै
धर्मराज घर-जूड़े जांगे पापी खम्बे तते कै।
जार आदमी का मेरे भाई पर त्रिया मैं मोह सै
सब कै इज्जत एक ढ़ाल की ना न्यारी न्यारी दो सै
वैश्या रांड़ का कुछ ना बिगड़ै समझणियों का खो सै
पकड़या जा जब जुत लगैं बता या के इज्जत हो सै
जार आदमी मरया करै काले पीले लत्ते पै
खीर खांड का भोजन तज कै डूबै गुड़ भत्ते पै।
नशे बाज तेरा हाल देख कै पाट्या घासी रह्या सूं
तर तर तर तर जुबान चलै शराब घणी पी रह्या सूं
सुलफा गांजा भांग धतूरा इन कै ताण जी रह्या सूं
खांसी खुरे के बस का कोन्या काफी खा घी रह्या सूं
फिलहाल तै मैं लाट सूं साबत कलकत्ते पै
नशा उतर ज्या जब डंड पेलै इमली के पतै पै।
चोर जार नशे बाज जुआरी सब तै भूंडे नर सैं
ओढ़ण पहरण नाहण खाण तै इन के बालक तरसैं
घाघरी तक भी छोड़ै कोन्या ऊत बेच दें घर सैं
मेहर सिंह भाई तेरे भजनां की सामण की जू बर सैं
सारा माल जिता कै घर दे छक्के और सतै पै
दाव हार ज्यां जब दे दे मारै हाथां नै मत्थे पै।