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चोर जार बदमाश लुटेरे सरवर नीर नही सै / मेहर सिंह

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वार्ता- सज्जनों दोनो भाई कहते हैं कि महाराज हम चोर उच्चके नहीं हैं और एक बात के द्वारा क्या कहते हैं-

म्हारे केसा इस दुनियां मैं कोए गम गीर नहीं सै
चोर जार बदमाश लुटेरे सरवर नीर नहीं सैं।टेक

रोज सवेरे बिठा कार मैं सैर कराया करते
गर्म सर्द पानी में कई कई बार नहवाया करते
न्हवा धवा कै चा मैं भर कै लाड लडाया करते
खाण पीण ओढण पहरण की तरकीब बताया करते
अमृतसर मैं खाया करते वे हलवे खीर नहीं सैं।

एक समय की बात सुणाऊं अम्बली नै मलवे पोए
हमनै भी करकै नै आले सूखे पत्ते ढोए
सौदागर तै रकम गिणली हम भठियारी नै खोए
मां धका कै जहाज मैं गेर दई हम दोनूं भाई रोए
इतने कड़वे बोल कहे इतने कड़वे तीर नहीं सैं।

दोनूं भाईयों ने ठा गोदी में न्यू समझावण लाग्या
होणी के चक्कर में फंस कै दरिया उपर आग्या
धोती टांग बड़्या दरिया मैं पार लगावण लाग्या
एक दो बर तो दिख्या था फेर बेरा ना के खाग्या
मात पिता के दर्शन कर लें इसी म्हारी तकदीर नहीं सै।

करमां करकै दोनूं भाई घाट के उपर आगे
बेटा कर कै राख लिए एक धोबी कै मन भागे
दो आने के लोभ मैं आकै हम फेर सन्तरी लागे
सेठाणी तो पड़कै सोगी हम दोनूं भाई जागे
कह मेहर सिंह अम्ब राजा के लड़के हम ठाऊगीर नहीं सैं।

वार्ता- राजा अम्ब रानी अम्बली और सरवर नीर एक दूसरे को पहचान लेते हैं। सौदागर को फांसी की सजा दी जाती है। उधर साधू के भेष में भगवान जिस ने अम्ब का राज लिया था वह भी आ जाता है और राज वापिस राजा अम्ब को देता है। राजा अम्ब एक शहर का राजा सरवर को दूसरे का नीर को बनाता है। यह सांग यही समाप्त होता है। बोलो नगर खेड़े की जय।