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चौकन्ना जंगल / विजयदेव नारायण साही
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निराले में, रौंदी हुई सड़क के किनारे
नामालूम पौधा
सर उठा कर टोह लेता है
कंकरीट के नीचे दबा हुआ जंगल
इस समूचे शहर को
एक दिन
निगल जाने का अवसर ताकता है।