चौकीदार / मिरियम वेडर / अविनाश दास
तँग-सँकरी गलियों से गुज़रते
धीमे और सधे क़दमों से
चौकीदार ने लहराई थी अपनी लालटेन
और कहा था — सब कुछ ठीक है
बन्द जाली के पीछे बैठी थी एक औरत
जिसके पास अब बचा कुछ भी न था बेचने के लिए
चौकीदार ठिठका था उसके दरवाज़े पर
और चीख़ा था ऊँची आवाज़ में — सब कुछ ठीक है
घुप्प अन्धेरे में ठिठुर रहा था एक बूढ़ा
जिसके पास नहीं था खाने को एक भी दाना
चौकीदार की चीख़ पर
वह होंठों ही होंठों में बुदबुदाया — सब कुछ ठीक है
सुनसान सड़क नापते हुए गुज़र रहा था चौकीदार
मौन में डूबे एक घर के सामने से
जहाँ एक बच्चे की मौत हुई थी
खिड़की के काँच के पीछे झिलमिला रही थी एक पिघलती मोमबत्ती
और चौकीदार ने चीख़ कर कहा था — सब कुछ ठीक है
चौकीदार ने बिताई अपनी रात
इसी तरह
धीमे और सधे क़दमों से चलते हुए
तँग-सँकरी गलियों को सुनाते हुए —
सब कुछ ठीक है !
सब कुछ ठीक है !!
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अविनाश दास
मूलअँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए अब मूल अँग्रेज़ी में यह कविता पढ़िए
Miriam Vedder
The Watchman
The watchman walked the little streets
With slow and steady tread;
He slung his lantern as he went, —
" All's well! " the watchman said.
Behind close blinds a woman sat
Who had no more to sell;
The watchman paused before her door, —
" All's well! " he cried, " All's well! "
An old man shivered in the dark
Who had no bread to eat;
Echoed the watchman's cry, " All's well! "
Along the empty street.
The watchman passed a silent house
Wherein a child had died;
A candle burned against the pane, —
" All's well! " the watchman cried.
And through the night the watchman passed
With slow and steady tread;
And ever to the little streets
" All's well! " the watchman said.