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चौगुटे की हकूमत / नेहा नरुका

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आज शाम मैंने अद्भुत्त दृश्य देखा...
एक मकड़ी अलगनी पर अपने लिए घर बना रही थी
मकड़ी कितनी मेहनती और क्रियेटिव होती है पहली बार जाना
जीवन चाहे मकड़ी का हो या चिड़िया का
जीवन गधे का हो या तितली का
जीवन रचनात्मकता से भरा हुआ होता है ।
वे लोग सबसे बड़े अपराधी हैं जिन्होंने मनुष्यों को 'मशीन में पेर कर' उन्हें उनकी रचनात्मकता से वंचित कर दिया ।

मैं हर बात में क्लास ऐसे ही नहीँ घुसेड़ती ।
मेहनत-मजदूरी करने वालों की ज़िन्दगी में सबसे बड़ी विलेन है ये क्लास ।
दिन के चौबीस घण्टे, बस, रोटी की चिन्ता में गुज़र जाते हैं।
क्या कुछ लोग रोटी की चिन्ता करने के लिए ही जन्म लेते हैं और कुछ उनकी रोटियों को इकट्ठा करने की सनक के लिए ?

मुझे घृणा होती है इस सिस्टम से
जिसमे ऐसे सनकी और बर्बर लोग रहते हैं ।
ये सचमुच चार होते हैं पर हुक़ूमत करते हैं अरब पर ...