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चौपाई नगर में बादल का आना और झड़ी बरसाना / बिहुला कथा / अंगिका लोकगाथा

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ओरे काले मेघ कैले अटकार रे। ओरे चारि दिगे मेघा घेरि बरु लेलेरे।
काला मेघा कैले अंधकार रे।
ओरे बिकेली छठ कैमेला पथर बरीसा होलेरे ओरे काले मेघ कैले अन्धकार रे॥
ओरे बड़-बड़ चकड़ी पथलवरिसावोलेरे॥
ओरे कालामेघ कैले अन्धकार रे।
ओरे प्रथम भागल दैबा चौकी पहरुदार रे, ओरे काले मेघ केले अंधकार रे।
आरे तबे तो भागलदैवा चांदो सौदागर रे।
ओरे काल मेघ कैल अन्धकार रे।