भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
छत्तीस / प्रमोद कुमार शर्मा
Kavita Kosh से
नजारा भोत है
सबद री मंडी मांय
-बंडी मांय
जे हुवै पावली
तो आपैई जंगळ-मंगळ करै
बडा-बडा दंगळ करै
पछाड़ द्यै दुसम्यां नैं
सबद
-खारा भोत है।