भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

छत के ऊपर छाया गहन शान्त नीला अम्बर / पॉल वेरलेन / मदन पाल सिंह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

छत के ऊपर छाया गहन शान्त नीला अम्बर
एक वृक्ष अपने पर्ण हिलाए
इस छत पर

और देखते, घण्टियाँ आकाश में बजतीं धीरे-धीरे
एक पँछी वृक्ष पर गाता
अपना दर्द बिखेरे

मेरे प्रभु ! यहाँ जीवन है शान्त सरल
एक हल्का -सा कोलाहल
शहर से आता चलकर

तुमने क्या किया यहाँ, विलाप नहीं रुकता
बताओ ! तुमने क्या किया, यहाँ
अपने यौवन का?

मूल फ़्रांसीसी से अनुवाद : अनिल जनविजय