छद्म सारस / कंसतनतीन केदरफ़ / अनिल जनविजय
मैं एक छद्म-सारस हूँ
काल्पनिक दुनिया में रहता हूँ
और काल्पनिक आँसू के रूप में अनन्त काल में बहता हूँ ।
अदृश्य आँसू गाल पर लुढ़क जाता है,
सब कुछ अतीत में बदल जाता है,
अतीत ..., अतीत ..., अतीत ...
मैं एक छद्म-सारस हूँ
और हम सभी छद्म-मूसाचर हैं
छन्दबद्धश्रेष्ठज्यामितिक, श्रेष्ठज्यामितिकशून्य
मैं छद्म बीता हुआ कल हूँ, पर छद्म धन नहीं
जो कभी भी रेगिस्तान से लोगों के पास नहीं आया
वह उस ऊँट की तरह खो गया
और फिर छद्म-मूषक के रूप में फिर से पैदा हुआ
उस नबी की तरह जिसने चालीस दिन तक उपवास किया
ख़ैर, कहीं भी कोई उपवास नहीं करता ।
मैं प्रहसन-अभिनेता हूँ, कल्पना हूँ मैं
मैं प्रहसनों से आगे निकल चुका हूँ
सब कुछ कल्पना है, मूर्खता को छोड़कर ।
मैं मसक्वा के चिड़ियाघर में एक छद्म-सारस हूँ
शब्द की आवाज़ के बाद की आवाज कोई नहीं सुनता ।
मुझे कोई नहीं देखता, कोई नहीं सुनता
केवल मद्धम हवा पत्तियों को हिलाती है ।
मैं एक छद्म-सारस हूंँ, शाश्वत छद्म-सारस
लेकिन अन्धेरे में मैं दूधिया
किरण-सारस में बदल जाता हूँ ।
मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब यही रचना मूल रूसी भाषा में पढ़िए
Константин Кедров
МНИМОЗАВР
Я мнимозавр
Живу во мнимозое
Стекаю в вечность мнимою слезою
слеза слезает по щеке незримо
Все мимо мними мимо мнимо мимо
Я мнимозавр
И все мы мнимозавры
Ямбогегзаметры гегзаметрогегзамры
Я мнимозавтра но не мнимоныне
Так и не вышел к людям из пустыни
Как тот верблюд который заблудился
И мнимозавром заново родился
Как тот пророк что сорок дней постился
Да так никем нигде и не постится
Я мим я мним
Я мимо мима
Все мнимо только немота не мнима
Я мнимозавр в московском паркезоо
Никто не слышит ультрозвукозова
Никто меня не видит и не слышит
Лишь ветерок листву слегка колышит
Я мнимозавр я вечный мнимозавр
Но по ночам я млечный лучезавр