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छद्म सिनेही ? / चन्द्रमणि

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केओ कहय मालिक केओ कहय परवर
केओ कहय दाता केओ कहय ईष्वर
तदऽपि ई कोइली कुहुकि करय शोर
राम ! जीविते अहाँके सिया आँखि नोर।
फूल सनक सुकुमारि किषोरी निर्मल-मन बैदेही
ले’ धनु तोड़लौं सेनुर बौरलों बनलौं छद्म सिनेही
बादक बात कते मन पारब
थिकहुँ पिता नहि बात उघारब
कहब मुदा जायब बड़ दूसल
फेर बनब नहि एहन कठोर।। राम...
माइक अनबन बापक जे प्रण पुरूष छलौं तें सहलौं
नवकनिया सीता कोहबर के सकल मनोरथ हरलौं
हाथक मेंहदी रचले रहलै
सऽख सेहन्ता सजले रहलै
संग देलनि जंगल धरि सीता
सासुर केर सुभ भेल अंगोर।। राम ....
नइहर सासुर सब किछु छुटलनि पतिकेर संग सहारा
धएल पछोर अभाग बनोमे छुटि गेल बचल किनारा
हरि लेल रावण अत्याचारी
सब दुःख माथ मढ़ल जनु नारी
गाछ अषोक सिया शोकाकुल
सूखल आँखि दुःखक हिलकोर।। राम.....
नाम अहींकेर जीवन सम्बल जकर छलै दिन रैन
पुनि-पुनि तकर परीक्षा लेलौं बाझल कोइलीक बैन
राम ! अहाँ बड़ पाप कमेलौं
कुलतारिणि शंकहिमे गमेलौं
माय मैथिली केर सुत लव-कुश
पूतक आगु पिता बल थोर।। राम....