भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

छन्द टूटल गीत / राजकमल चौधरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दुःख नहि बनि सकैत अछि गीत
राति भरि औनाइत रहलहुँ
अभिव्यक्ति लेल दू शब्द तकलहुँ
किन्तु, नहि पाओल कोनो पर्याय
ज्ञान छल आन्हर, परम निरुपाय
दुख नहि बनि सकैत अछि गीत

एकसरे छी, शून्य अछि आकाश
एकान्त की बनि सकत विलास?
धूमकेतु हम आब कतए जाइ
की शून्यमे हम शून्य बनि बिलाइ?
दुःख नहि बनि सकैत अछि गीत

बिसरि गेल अक्षर, शब्द, भाषा
मिझा गेल सभ उत्कण्ठा-पिपासा
बाह्य-अन्तर सभ ठाम घन-अन्हार
बन्द हमरा लेल सभक द्वार
दुःख नहि बनि सकैत अछि गीत

(वैदेही: सितम्बर, 91)