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छबीली तितली / राम करन

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काली-पीली-नीली तितली,
मटमैली-चमकीली तितली।
पंख हिलाकर उड़ी गगन में,
नारंगी-चटकीली तितली।

रोली-सी रंगीली तितली,
लगती बहुत छबीली तितली।
पंख सुनहले और मखमली,
सुंदर बहुत सजीली तितली।

भले नहीं बतियाती तितली,
पर हँसती-मुस्काती तितली।
हरी-फिरोजी कई बिंदियाँ,
पंखों पर सजवाती तितली।

एंटीना से झाँकी तितली,
खूब निराली बाँकी तितली।
है महरून-गुलाबी-खाकी,
पंखुड़ियों से ताकी तितली।

खुद को बहुत सजाती तितली,
फिर भी बहुत लजाती तितली।
धूसर, चाँदी और बैंगनी,
रंग कहाँ से लाती तितली?

उड़ी एक चितकबरी तितली,
रस-गंधों की खबरी तितली।
प्यूपा से निकली है बनठन,
रंग-भरी है अबरी तितली।

बलखाती-इठलाती तितली,
इंद्रधनुष-सी आती तितली।
मुझको पास बुलाती अपने,
कलियों पर मँडराती तितली।

प्रतिदिन आती-जाती तितली,
स्वप्न नए दे जाती तितली।
जहाँ-जहाँ भी फूल खिले हों,
वहाँ पहुँच ही जाती तितली।