रचनाकार: ?? |
ऐ मेरे हमसफ़र, ले रोक अपनी नज़र
ना देख इस कदर, ये दिल है बड़ा बेसबर
चांद तारों से पूछ ले, या किनारो से पूछ ले
दिल के मारो से पूछ ले, क्या हो रहा है असर
ले रोक अपनी नज़र...
मुस्कुराती है चांदनी, छा जाती है ख़ामोशी
गुनगुनाती है ज़िंदगी, ऐसे में हो कैसे गुज़र
ले रोक अपनी नज़र...