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छमाछम नाच रई गंगा हिलौरें ले रई जमुना / बुन्देली
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
छमाछम नाच रई गंगा हिलौरें ले रई जमुना।
बन्नी की माथे की बेंदी अबै बम्बई से आई है।
खुशी सें पैन लों बन्नी तुम्हें ससुरा कें जानें हैं। छमाछम...
बन्नी के कानों के झूमर अबै दिल्ली सें आये हैं।
खुशी से पैन लों बन्नी तुम्हें ससुरा कें जानें हैं। छमाछम...
बन्नी के गले का हरवा अबै मदरास से आयो है।
खुशी से पैन लों बन्नी तुम्हें ससुरा कें जानें हैं। छमाछम...
बन्नी के पैरों की पायल अबै कलकत्ता से आईं हैं।
खुशी से पैन लो बन्नी तुम्हें ससुरा कें जानें हैं। छमाछम...