Last modified on 12 मई 2013, at 00:35

छलावा / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित

 

पल-पल पर छलावा
दिग्भ्रमित होता आदमी
कब तब बचेगा
इस मायावी दुनिया से
ऑफिस में
बाजार में
मॉल में
संबंधों में
छलावा दर छलावा
घिर चुका है आदमी
घिर चुकी है औरत
आपसी छलावे का
शिकार
वार पर वार जारी है
बचना
अब मुश्किल है