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छलिया है वो( हाइकु) /रमा द्विवेदी
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					१-बर्फीला मन 
ठिठुरते सपने 
ऊष्मा रहित |
२- देख -समझ 
सुन्दरता में न जा 
छलिया है वो |
३-स्नेह -तलाश 
सपने हुए ख़ाक 
फूलों में आग |
४-उपाय  कर
तमस  भरा मन 
उज्ज्वल कर |
	
	