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छह हाइकु / कोबायाशी इस्सा / सौरभ राय
Kavita Kosh से
मत मारो!
कहती मक्खी
हाथ रगड़ कर।
मूली खींचते आदमी ने
मुझे रास्ता दिखाया
मूली से।
चिड़िया चीख़ी
जैसे पहली बार देखा
पहाड़।
मेंढक ! मानो
लेगा निगल
बादल।
कौआ चलता
जैसे जोत रहा
खेत।
पहाड़ी मन्दिर –
बर्फ़ के नीचे दबी
एक घण्टी।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सौरभ राय