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छाँहीं में सुस्ताय के दिन / रूप रूप प्रतिरूप / सुमन सूरो
Kavita Kosh से
लाल हिङोर परास ढकमोरै;
कुछ गरम साँस पछिया के जी खोरै;
चाटलोॅ-उचटलोॅ पल-छिन;
छाँहीं में सुस्ताय के दिन।
बेलमुड़ोॅ करूवा पहाड़ उफसै छै
टाँड़-टिकर-खेत-पथार हफसै छै
घाँस-पात चटकै छै चिन-चिन!
छाँहीं में सुस्ताय के दिन।
नाँचै छै रौद चक्-चक्
हकमै छै कुक्कुर हक्-हक्
फेंड़ी पर बैठलोॅ छै बटोही
आँख करै झिम-झिम!
खोंसी केॅ गमकै छै अत्तर
महुआ-आम-कटहर
गल्लोॅ दाबी केॅ दुहकै लेॅ कोयलो
सपरै छै रही-रही खिन-खिन!