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छाता / अशोक शुभदर्शी
Kavita Kosh से
राम हमरोॅ छाता छेकै
हम्में ओढ़ै छियै एकरा
धूपोॅ आरोॅ बरसातोॅ में
फेरू
राखी दै छियै एकरा
समेटी केॅ
घरोॅ केॅ एक अंधेरा कोना में।