भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

छाती कै म्हां मुक्का मारया अंजना राणी नै / मेहर सिंह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वार्ता- सज्जनों अंजना को पहले तो बारह साल का दुहाग मिल जाता है उसके बाद महारानी केतुमति उसे बहुत बुरी भली सुनाती है तो अंजना अपनी हालत का ब्यान करती है-

जवाब अंजना का

कुछ भी सुखड़ा देख्या कोन्या धक्के खाणी नै।
छाती कै म्हां मुक्का मारया अंजना राणी नै।टेक

बसन्त माला देखिए हालत मेरी
चाल्या भी ना जाता लागी आवण अंधेरी
किस बिपता मैं ल्या कै गेरी, मेरे अन्न जल पाणी नै।

राज घरां में जन्म लिया कंगाल कर दिये
खुद ब्याहा दुःख देग्या बेहाल कर दिये
मेरी छाती कै म्हां शाल कर दिये शाल कमाणी नै।

बन्दा लेगा काट जिसे बोवैगा
घर नै खाली देख कै पिया जिन्दगी नै खोवैगा
देख देख कै रोवैगा, इस कुणबा घाणी नै।

गुरु लखमीचन्द नै ज्ञान सिखाया
भूल्या होया रस्ता फेर दिखाया
मेहर सिंह बेकूफ बताया, इस दुनियां स्याणी नै।