छाती धड़कै ईब तलक वा ज्यान का गाला करगी / मेहर सिंह
सुपने के म्हां हूर परी ढंग कुढाला करगी
छाती धड़कै ईब तलक वा ज्यान का गाला करगी।टेक
मनैं कह्या तूं बैठ पिलंग पै बार करै ना गोरी
मन की चाही हो ज्यागी तूं अजब श्यान की छोरी
रंग छांटरी रूप गजब का अब तक रहरी कोरी
ओड़ सुवासण हुई मस्तानी न्यूएं रूप नैं खोरी
ओढ पहर सिंगर रही गारी बेढब चाला करगी।
फेरैं बैठी चीज अनूठी मेरा हरद्या हाल्या
रोम रोम म्हं खुशी हुई जब हाथ गले म्हं घाल्या
चांद चकोरी मिलैंगे दोनूं ताली म्हं मिलग्या ताला
प्यार के रस म्हं भरे हुए रांझा हीर की ढाला
बटन दबा बिजली कैसा सहम उजाला करगी।
बैठी हूर पलंग के ऊपर पैर दबावण लागी
भर चोंटकी देखै धर कै नजर मिलावण लागी
नजर फेरले हसैं जोर तैं हाथ हिलावण लागी
कौली भरली जब मनैं दाब कै बात बनावण लागी
छाती तैं छाती मिलेंगी वा रूप निराला करगी।
हांगा करकै प्यार किया जब दिया भगवान दिखाई
मध्य लोक को छोड़ स्वर्ग की होगी सैर हवाई
हरियाणे म्हं इसे गजब की देखी ना और लुगाई
मेहरसिंह नै जोड़ जाड़ कै कविता खास बनाई
एक छोरी नैं किवाड़ खोल दिये खाण्ड का राला करगी।