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छात-दोय / विनोद स्वामी
Kavita Kosh से
म्हारै
साळ री छात
तीन बर पडग़ी।
अबकाळै
फेरूं पड़ूं-पड़ूं करै
म्हे फेरूं
कच्ची छात लगास्यां।