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छिन कर वो लज्जते-सोतो-सदा ले जायेगा / शीन काफ़ निज़ाम
Kavita Kosh से
छीन कर वो लज्जे-सोतो-सदा ले जायेगा
हाथ शल कर जायेगा, हर्फे-दुआ ले जायेगा
बीच का बढ़ता हुआ हर फासला ले जायेगा
एक तूफां आयेगा सब कुछ बहा ले जायेगा
देखना ! बढ़ता हुआ ये ख्वाहिशों का सिलसिला
मौजे-खूं दिखलायेगा, रंगे-हिना ले जायेगा
बेमुकद्दर छोड़ जायेगा सभी पेशानियां
रोशनी आंखो की सीने की जिया ले जायेगा
घर से जाते वक्त वो अब के बुजुर्गो की दुआ
ले तो जायेगा मगर डरता हुआ ले जायेगा
लम्स में मिल जायेगा आवाज का असरार भी
पानियों के पैकरों को भी उठा ले जायेगा
इक परिन्दा रात की चौखट पे आयेगा ‘निजाम’
देखना है देगा क्या और हमसे क्या ले जायेगा