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छुटेड़ो गांव / निशान्त
Kavita Kosh से
भलांई
कित्ता ई
डूबेड़ा हुवां आपां
आपणै सै’रीपणै में
आ ई ज्यावै
कदे-कदे नींद में
छुटेड़ो गांव
घर
अर खेत।