भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
छुट्टियाँ हुईं स्कूल में / श्याम सुन्दर अग्रवाल
Kavita Kosh से
छुट्टियाँ हुईं स्कूल में,
लग गई अपनी मौज ।
शर्बत पीते, कुलफ़ी खाते,
मिलते नए-नए भोज ।
होमवर्क की रही न चिंता,
अब खेलेंगे सब खेल ।
सैर-सपाटे को निकलेंगे,
चढ़कर लम्बी रेल ।
घूमेंगे मम्मी-पापा संग,
ऊटी और बैंगलूर ।
राजा का महल देखेंगे,
जब जाएंगे मैसूर ।
हैदराबाद का म्यूजियम,
और सुंदर चारमीनार ।
दिखलाएंगे पापा हमको,
अवश्य ही इस बार ।