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छुपाकर कोई काम करते नहीं हैं / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
छुपाकर कोई काम करते नहीं हैं
मगर सबसे हर बात कहते नहीं हैं
बड़ा नाज़ है हमको अपनी अना पर
हुकू़मत के आगे भी झुकते नहीं हैं
ख़ुदा ने बहुत कुछ हमें भी दिया है
किसी की तरक़्क़ी से जलते नहीं हैं
गुमाँ होगा अपने उन्हें इल्मो फ़न पर
सरल बात पर वो समझते नहीं हैं
हमारी अदा साफ़गोई हमारी
ग़ज़ल भी इशारों में कहते नहीं हैं
बहुत लोग दुनिया में ऐसे पड़े हैं
जगाते रहेा पर वो जगते नहीं हैं