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छुरियों-काँटों से खाने का शौक़ आदमी का / रामकुमार कृषक

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छुरियों - काँटों से खाने का
शौक़ आदमी का
बहुत साफ़ संकेत
नखूनों के बढ़ आने का
हाथ छोटे पड़ जाने का !

देह स्वाद हो गई देह का
ख़ून हुआ पानी
बिम्ब देख हंसती प्यालों में
आदिम शैतानी,

झूठ-मूठ जूठन खाने का
चाव आदमी का
बहुत साफ़ संकेत
मित्र - चारा उग आने का
हाथ से हाथ मिलाने का !

राजरोगिणी हुई सभ्यता
दर्शन अय्याशी
जा बैठे जनखे जनवासे
जन को शाबाशी,
 
हर चेहरे में ढल जाने का
हुनर आदमी का
बहुत साफ़ संकेत
नए नारे गढ़ लाने का
मंच से उन्हें भुनाने का !