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छूट गया था वो रास्ता / नरेश अग्रवाल

छूट गया था वो रास्ता हमारी गलती से
और दूसरे रास्तों से भी गुजर कर
कुछ हासिल नहीं कर पाये हम
दौड़ते रहे हम यहां से वहां तक
जैसे यह ही सही हो सकती थी
हमारे लिए जगह,
बेहद उतावलापन था
कि दौड़े और छू लेंगे वह छोटी सी दूरी
लेकिन सभी जगहों पर
सभी चीजों का हल नहीं था
कहीं आंख बंद तो कहीं कान बहरे
और अंत में हम पसर गए
परेशानी भरी उधेड़बुन में
उस समय लगा वह पहली भूमि ही सबसे सही थी
वहां सब कुछ था
बस हाथ आने के लिए थोड़ा सा धैर्य चाहिए था
थोड़ा सा और विश्वास रखते
मिल गयी होती हमें सही जगह पहले ही।