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छूट रही है / दुःख पतंग / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
तुम जा रहे हो
ब्रीफकेस में
अपने सामान सहेज कर
पर ठहरो
इस घर की दीवारों
आलमारियों
कमरों
और कोनों-अतरों में
छूट रही है
तुम्हारी याद
इन्हें भी लेते जाओ साथ।