छैल-छबीले लाडिले बर कालिंदी कूल।
अरुनोत्पल आसन सुखद सोभित पीत दुकूल॥
अधरनि धर मुरली मधुर मोहन मधुमय तान।
लगे अलापन, मगन ह्वै, सहज भुलावन भान॥
गैया नित की सहचरी ठाढ़ी दाहिनि ओर।
नयन मूँदि रहे रसभरी मुरली-तान-विभोर॥
छैल-छबीले लाडिले बर कालिंदी कूल।
अरुनोत्पल आसन सुखद सोभित पीत दुकूल॥
अधरनि धर मुरली मधुर मोहन मधुमय तान।
लगे अलापन, मगन ह्वै, सहज भुलावन भान॥
गैया नित की सहचरी ठाढ़ी दाहिनि ओर।
नयन मूँदि रहे रसभरी मुरली-तान-विभोर॥