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छोटा-सा नन्हा-सा बच्चा हाथ बढ़ाये छू ले चाँद / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
छोटा -सा नन्हा -सा बच्चा हाथ बढ़ाये छू ले चाँद
उसके लिए है खेल तमाशा हाथ बढ़ाये छू ले चाँद।
एक घरौंदा छोटा -सा मिट्टी का ताजमहल लगता
शहंशाह होता है बच्चा हाथ बढ़ाये छू ले चाँद।
बच्चा नहीं चाहता सुनना पैसा नहीं बाप के पास
उसको तो बस मिले खिलौना हाथ बढ़ाये छू ले चाँद।
हम लोगों की तरह मुखौटा नहीं चाहिए बच्चे को
सेाना जैसे लागे साँचा हाथ बढ़ाये छू ले चाँद।
बच्चा नहीं पूछता मज़हब जाति दूसरे बच्चे से
उसको सब लगता अपना-सा हाथ बढ़ाये छू ले चाँद।
चूहा-बिल्ली, बाज-कबूतर, चींटी-हाथी, नेउर-साँप
सब में वो देखे याराना हाथ बढ़ाये छू ले चाँद।