भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
छोटा ख़ामोश बच्चा / फ़ेदेरिको गार्सिया लोर्का / विनोद दास
Kavita Kosh से
छोटा ख़ामोश बच्चा अपनी आवाज़ तलाश रहा है
(झींगुर सम्राट के पास यह था)
पानी की एक बून्द में
वह छोटा बच्चा अपनी आवाज़ तलाश रहा था
बोलना मैं नहीं चाहता
मैं इसकी अँगूठी बनाऊँगा
ताकि वह मेरी ख़ामोशी को
अपनी छोटी अँगुली में पहन सके
पानी की एक बून्द में
वह छोटा बच्चा अपनी आवाज़ तलाश रहा था
(क़ैद आवाज़ बहुत दूर है
झींगुर के कपड़े पहन लो)
अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास