| 
सोये हैं 
शांत, मूर्तिवंत
थकित 
मार्ग की आवा-जावी से अस्पृश्य
खलन नहीं पड़ती निंद्रा में
भुजिया* की गोद में सो जाना
पसंद आया होगा अश्वों को
किले के ऊपर से आती हवा से
सहज लहरा रहीं हैं मूंछें
थिरक रही त्वचा 
संख्या के अनुमान की आवश्यकता नहीं
अश्वों को 
सोये हैं
आराम से 
- भुजिया= पर्वत विशेष का नाम
 
अनुवाद : नीरज दइया