छोटी-मोटी नगरी हे बसेले बड़ी दूर / भोजपुरी
छोटी-मोटी नगरी हे बसेले बड़ी दूर, चलत-चलत पैजनिया लागे रे धूर।
कतेक दिनवाँ रहब नन्द हो लाल।।१।।
हाँ रे, सोने के मचिअवा पियवा देले भेजवाय, अपने त रहे पियवा माधोपुरवा छाय।
कतेक दिनवाँ अब रहब नन्दलाल हो, कतेक दिनवाँ।।२।।
सोने के थकरिया पियवा देले भेजवाय, हाँ रे जेतने थकरबों, ओतने समुझब जून।
हाँ रे, कतेक दिनवाँ रहब नन्दलाल हो, कतेक दिनवाँ।।३।।
हाँ रे, सोने के ककहिया पियवा देले भेजवाय, जेतने ककहबों, ओतने समुझब जून।
कतेक दिनवाँ ना अब रहब नन्दलाल हो, कतेक दिनवाँ ना।।४।।
हाँ रे, लदली बरदिया पियवा देलन भेजवाय, अपने त रहे पियवा माधोपुरवा छाय।
कतेक दिनवाँ ना अब रहब नन्दलाल हो, कतेक दिनवाँ ना।।५।।
सोने के सिन्होरवा पियवा देले भेजवाय, जेतने टिकब ओतने समझब जून।
हाँ रे, कतेक दिनवाँ ना, अब रहब नन्दलाल हो, कतेक दिनवाँ ना।।६।।
आम त महुइया चढ़ि बोलेली जोड़ी काग, मोरे लेखे माधोपुर में धधकेला आग।
हाँ रे, कतेक दिनवाँ ना, अब रहब नन्दलाल हो, कतेक दिनवाँ ना।।७।।