छोटी-सी बात को वह लिये मील तक गये
झगड़े का मुकदमा किया तहसील तक गये
यूँ भी तो ज़िन्दगी कोई आसान नहीं थी
ले कर जरा-सी बात को तफ़सील तक गये
हमको यूँ नजारों का कोई शौक तो नहीं
पाँवों ने घसीटा तो चले झील तक गये
कितने दिनों से पाँव को तकलीफ दे रही
हम भी नहीं भूले उसे उस कील तक गये
मेहनत किए बिना कभी मंजिल नहीं मिलती
रौशन हो राह इसलिए कंदील तक गये