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छोटी कविताएँ-3 / सुधा गुप्ता
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					तलाश : सुख की
भीड़ 
आपाधापी
और 
गहमागहमी
भरे बाज़ार में
तलाशते रहे
सभी 
अपने-अपने सुख ।
टकराते रहे
एक -दूसरे को धकियाते रहे
और ख़रीदते रहे
चाव से भर-भरकर,
खूबसूरत मुखौटों में छिपे
दु:ख ।
-0-
सिर्फ़ एक तुम
उदासी में डूबी सुबह
उदासी में भीगी शाम
दिन 
रात 
हर पहर
हर पल
उदासी का जाम,
ज़िन्दगी की बाँसुरी पर
सिर्फ़ एक  धुन
बजती है
एऽऽ क
तेरा
 नाम !
-0-
दो पल
कहाँ-कहाँ हो आया मन
दो पल में,
क्या -क्या पा,
खो आया मन
दो पल में !
-0-
इन्तज़ार
इन्तज़ार …
पलकों पर काँपते
आँसुओं की बनदनवार
कि
पुतली  की रोशनी में
झिलमिलाते 
दियों की क़तार----
(एक क़ाफ़िला : नन्ही नौकाओं का )
	
	