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छोटी सी गौरैया / अपर्णा भटनागर
Kavita Kosh से
चीं चीं चीं चीं
साज सजैया
जया की ये
नटखट गौरैया
अक्तूबर में
पाहुन बनकर
बिना सूचना
घर को आती.
कितने चक्कर
पड़तालों पर
उजियाले चौरस कोने पर
रोशनदान की उस चौखट पर
खट-खट
खट-खट
झटपट-झटपट
तिनके-तिनके
लीरी-लीरी
रेशम चीथड़े
रूई सजीली
बुनती कुनबा
मान मनैया
जया की ये चुलबुल गौरैया
शिवलिंग जैसे
छोटे-छोटे ,
हलके भूरे
धवल धौर-से
चिकने कोमल
बौर-बौर से .
रस-रस
रस-रस
बतरस-बतरस
मीठे-मीठे
कई बताशे
पगती ये
मिष्ठी हलवैया
जया की ये चुलबुल गौरैया
(जया की गौरैया के लिए)