मैं एक बाड़ बनाना चाहता हूँ
पेड़ की टहनियों से ।
क्षितिज के एक टुकड़े के चारों तरफ़
एक ऐसी बाड़,
जहाँ अनन्त काल को इकट्ठा करके
मैं समझ जाऊँगा
कि मशीनें नहीं हैं या कुछ ही हैं
कि सैनिक नहीं हैं या कुछ ही हैं
कि हथियार नहीं हैं या कुछ ही हैं
जो ले जा रहे हैं हमें
भेड़ियों के साथ जंगल से बाहर ।
वहाँ जहाँ
व्यापारी नहीं हैं या कुछ ही हैं
पृथ्वी के उन दूरदराज कि जगहों पर
जहाँ अभी तक
पक्की सड़कों का जाल नहीं बिछा है ।
ईश्वर को यह आशा है
कि कम से कम
स्वर्ग कभी कवियों की सिसकियों में
नहीं बसा होगा ।
रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय