भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

छोटी हीं देखि जनि भूलिए ए बाबा / भोजपुरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

छोटी हीं देखि जनि भूलिए ए बाबा, बीरन में सरदार
सात समुद्र नदी ओद्र बसतु हैं, बिहरेले सरजुग के तीर।।१।।
इहवाँ से उठि जब चललनि राज राजा जे करेले पुकार
जाहु सुचरिया देव सब का आगे, देव लोग आनहु बोलाय।।२।।
उहवाँ से उठि जब चलेलनि सुचरिया, देव आगे होइ गइले ठाढ़
कवनहिं काज-परोजन राजा, काहें मोके कइले हंकार।।३।।
झारि गलइचा दिहले बिछावन, अउरी कलस भर पानी
पाँव पखारि पाट बइठहु देव सब, कहु घर कुसल सनेस।।४।।
हमरो कुसल दस कुसल राजा, कुसल चाहिले तोहर।।५।।
ब्याहहिं काज परोजने देव सब, हम तोहि कइलीं हंकार
सब देव मिलि के मंत्र बिचारहु, भये सुता ब्याहन जोग।।६।।