भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
छोड़ो नऽ मैया मऽरीऽ घोड़ा की बागऽ ओ / पँवारी
Kavita Kosh से
पँवारी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
छोड़ो नऽ मैया मऽरीऽ घोड़ा की बागऽ ओ
लगना की बीरिया मऽरीऽ ढय चली।।
छोटी सी लाह मात पाय पड़ाहू ओ
तोरा दूध की निरागत करऽ देहूँ।।
छोड़ो नऽ बहना मऽरीऽ घोड़ा की बागऽ ओ
लगना की बीरिया मऽरीऽ ढ़य चली
छोटी सी लाहू बहना पाँय पड़ाहू ओ
तोरी राखी की निरागत करऽ देहूँ।।