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छोड़ जाने गये किस तरह / गीत गुंजन / रंजना वर्मा

  राह लम्बी अकेली हमें
       छोड़ जाने गये किस तरह॥

हो गयी व्यर्थ सब जल्पना
कसमसाने लगी कल्पना।
धड़कनों की मदिर ताल सुन
छटपटाने लगी भावना।

        इक अजानी नयी पीर से
        जोड़ रिश्ता गये किस तरह।
            राह लम्बी अकेली हमें
            छोड़ जाने गये किस तरह॥

पथ के पत्थर सरकने लगे ,
आँख में पड़ करकने लगे।
प्रीति करवट बदलने लगी ,
बन्ध सारे दरकने लगे॥

        पन्थ तो सूझता ही नहीं
        मोड़ जाने गये किस तरह।
              राह लम्बी अकेली हमें
              छोड़ जाने गये किस तरह॥

तितलियाँ स्वप्न की उड़ गयीं
मोड़ राहें कई मुड़ गयीं।
जो गयी थीं बिखर रश्मियाँ
नेह धागे बंधीं जुड़ गयीं॥

        सात जन्मों का रिश्ता बंधा
        तोड़ जाने गये किस तरह।
             राह लम्बी अकेली हमें
             छोड़ जाने गये किस तरह॥