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छोड़ दूं गाँव क्यों इल्ज़ाम से पहले पहले / रंजना वर्मा
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छोड़ दूँ गांव क्यों इल्ज़ाम से पहले पहले
है चले जाना मगर शाम से पहले पहले
सुन के आवाज़ तेरी दिल है धड़कने लगता
तन सिहरता है तेरे नाम से पहले पहले
है मुहब्बत ये हमें आज कहाँ ले आयी
सोच पाये नहीं ईनाम से पहले पहले
तिश्निगी है कि हरिक पल है बढ़ी ही जाती
प्यास मर जाये न ये जाम से पहले पहले
गलतियाँ करते रहे और की मनमानी भी
चेत जायें जरा अंजाम से पहले पहले
मौत का दिन है मुक़र्रर वो तभी आयेगी
कौन जाता वहाँ पैग़ाम से पहले पहले
कुछ तो ऐसा हो कि दुनियाँ करे सलाम हमें
नेकियाँ भी हों एहतराम से पहले पहले