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छोडूंगी नहीं घर तैं ताहे बिना / मेहर सिंह

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वार्ता- सज्जनों अंजना अपनी सास को कहती है कि मैंने कोई भी गलत काम नहीं किया है लेकिन उसकी सास को इस बात की तसल्ली नहीं होती और क्या कहती है-

कितने ए बहाने भर ले हे महेन्द्र की जाई
छोडूंगी नहीं घर तैं ताहे बिना।टेक

तनै कोड रोप दिया चाला
गैल्यां डोबी बसन्त माला
हे तूं मूंह काला करले तनै थूकैंगे लोग लुगाई
डूब क्यों गई पति तेरा आऐ बिना।

तनै घर कुणबे तै ला लिया बैर
प्यारे समझ लिए तनै गैर
हे तूं ओढ़ पहर सिंगर ले तनै शर्म कती ना आई
हे तूं बहू सै नई सरया नहीं तनै ईश्क कमाए बिना।

ईब इसनै राखैगी कड़ै ल्हको कै
बैठगी अगली पिछली खौ कै
हे कितै नाक डुबो कै मरले, तेरे मरियो बाप और भाई
ना किसै दीन की रही सर्या नहीं तनै गोद खिलाए बिना।

न्यूं ईश्वर नै कर दिये तंग
न्यूं बिगड़ग्या काया का ढंग
मेहर सिंह ठीक छन्द घर ले है सतगुरु की सिखलाई
सही रै सही सरै नहीं तनै गाऐ बिना।