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छोडू अपन कपटकेँ आ उदार बनू भैया / बाबा बैद्यनाथ झा
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छोडू अपन कपटकेँ आ उदार बनू भैया
गाँधी, सुभाष, नेहरूक अवतार बनू भैया
कपटी-छली एम्हर फेर गरदनि उठा रहल अछि
आबो नयन तँ फोलू ललकार बनू भैया
घीँचैछ बीच बनिकऽ भारतकेँ ओ भँवरमे
डूबैत अपन देसक पतवार बनू भैया
कर्मठ बनल रहब जँ काजक ने फेर कमी छै
मेहनति करू आ खुदसँ रोजगार बनू भैया
अपटा स्वार्थमे सभ निसभेर भऽ सुतल छी
अप्पन बनाकऽ सभकेर गरहार बनू भैया
पशुवत् ओकर छै जिनगी अपना लए जे जिबैए
जनहित करू आ देसक शृंगार बनू भैया