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छोरी (अेक) / इरशाद अज़ीज़
Kavita Kosh से
तितली जैड़ी क्यूं हुवै बा
कुण दियो औ नांव
कुण करी कुचमाद!
कित्ता जुगां सूं
भाजती आयी बा
आपरै आपै नैं बचावण सारू
गिरजड़ा सूं।
सुण छोरी
थूं तितली नीं है
बणणो ई पड़सी थनैं कांवळी
भरणा ई पड़सी झरूंटिया
जे जीवणो चावै थूं।