जंगल में
तितलियां ही नहीं
अजगर भी
हुआ करते हैं
उजाले तो नहीं
मगर गहरे अंधरे
हुआ करते हैं
एक काली सी
परछाईं है कि
लील जाती है
जंगल के जंगल
हवा भी दम साधे
देखती रही है
जैसे हो नज़ारा
एक रंगहीन
जंगल में
तितलियां ही नहीं
अजगर भी
हुआ करते हैं
उजाले तो नहीं
मगर गहरे अंधरे
हुआ करते हैं
एक काली सी
परछाईं है कि
लील जाती है
जंगल के जंगल
हवा भी दम साधे
देखती रही है
जैसे हो नज़ारा
एक रंगहीन