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जंगल / केशव

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जंगल का कहना है
वह रेगिस्तान को कंठ में रख लेगा
दलदलों को पत्तों से ढाँप लेगा
आक्सीजन का कोटा बढ़ाकर
गरीबी को समृद्ध बना देगा
और सूत्री कार्यक्रमों के तम्बुओं में
जगह-जगह महायज्ञ कराकर
भूख को मंत्रकीलित कर देगा

पर जंगल की अजगर-सी जमुहाई
खींच लेती है निरीह और निहत्थे प्राणियों को
अपने पेट में
टहनियों के झाड़ू
बुहार देते हैं पपड़ाये लहू के धब्बे
हड्डियों की कब्र को छा लेते हैं पत्ते

जंगल की भाषा
नहीं समझ पाते जीव
फिर भी चिल्लाते हुए बढ़ते हैं
रास्तों पर खो जाते हैं
कुछ दूर चलकर जंगल में

चिल्लान उनकी नियति है
रुई रखना कानों में जंगल का धर्म
जंगल अपना धर्म बखूबी निभाता है
जीवों को सहनशक्ति के टॉनिक पिलाता है

जंगल का स्वभाव है
हर कहीं उग आना
अपनी छाया में पलने वाली
ज़हरीली जड़ी-बूटियों की
पीठ थपथपाना
और राष्ट्रीय धुन पर
खड़े-खड़े सो जाना.