भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जंगल / नरेन्द्र मोहन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरे साथ-साथ
भाग रहा
जंगल
दोनों तरफ
और मैं सीधा सुरक्षित रास्ता छोड़
भाग जाना चाहता हूँ
जंगल में

एक जंगल चित्र में
एक चित्र से बाहर
मैं बाहर आ खड़ा हुआ हूँ चित्र से
जंगल में

कौन है यहाँ मेरा सगा
पुकारता मुझे !