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जंगल / सूर्यपाल सिंह
Kavita Kosh से
पेड़ और जंगल
कटते रहे धरती पर
और उग आया
एक घना जंगल
आदमी के भीतर।
बाघ भी कहाँ जाता
वह भी भीतर के जंगल में
आ गया कुलाँचे भरते हुए
इसीलिए षायद
इसीलिए
आदमी दूसरों का रक्त पी
मोटा होना चाहता है।