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जंगी तराना / सीमाब अकबराबादी
Kavita Kosh से
दिलावरान-ए- तेज़ दम, बढ़े चलो, बढ़े चलो
बहादुरान-ए- मोहतरम, बढ़े चलो, बढ़े चलो
ये दुश्मनों के मोर्चे फ़क़त हैं ढेर ख़ाक़ के
तुम्हारे सामने जमे,कहाँ किसी के हौसले ?
नहीं हो तुम किसी से कम, बढ़े चलो, बढ़े चलो
सितम के तमतराक को बढ़ा के हाथ छीन लो
है फ़तह सामने चलो,उठो,उठो, बढ़ो,बढ़ो
यह जामे-जम, वोह तख़्ते-जम, बढ़े चलो, बढ़े चलो